निःसंतान दम्पत्ति या वो दम्पत्ति जिन्होंने बच्चा गोद लिया है। यह वह लोग जिनके बच्चे हैं और वह ने सुख नहीं देते हैं मतलब बच्चे होने के बाद भी वह केवल परेशानी बच्चों से कि कुछ बच्चे बिगड़ गए हैं उनका कहना नहीं मानते हैं क्राइम करते हैं या फिर उनसे दूर हो जाते हैं और उनसे मिलते भी नहीं है तो ऐसे लोगों की उनकी जन्म पत्रिका में ऐसे क्या योग होते हैं जिसकी वजह से उनके जीवन में संतान सुख में कमी आती है। आज हम उसी को दो तरीके से समझेंगे ज्योतिष के संदर्भ से भी और हमारे माइंड प्रोग्राम के तरीके से भी।
पहले हम ज्योतिष के आधार पर संतान सुख में कमी के योग या संतान द्वारा सताए गए माता पिता की पत्रिका में क्या के योग होते हैं उसको समझते हैं।
पांचवा घर संतान का घर होता है पांचवी के पांचवी को हम देखेंगे सातवें घर को हम देखेंगे पांचवें घर का स्वामी पांचवें घर में बैठने वाले ग्रह पांचवें घर पर ग्रहों की दृष्टि या पंचमेश की युती संबंध दृष्टि उसका बड़ी बारीकी से अध्ययन करेंगे यदि किसी कुंडली में पांचवें घर का स्वामी दसवें घर में नवे घर में उच्च का होता है क्योंकि पांचवे घर से पांचवा नवा घरे और दसवें घर में राज्य पक्ष का होता है तो माता-पिता की कुंडली में इस तरह के प्रयोग से बच्चे प्रतिभाशाली होंगे क्योंकि कोई भी ग्रह जब उच्च का होता है तो उसमें शुभदा आ जाती है पावर आ जाता है शक्ति आ जाती है और पांचवे घर को यदि कोई ग्रह उच्च दृष्टि से देखता है या पंचमेश को कोई उच्च दृष्टि से देखता है या उसके साथ युति संबंध बनाता है तू भी बहुत अच्छा योग बनता है पांचवा घर शुभ मध्य त्व में हो आसपास अच्छे लोग होंगे तो उस घर को शुभता प्रदान करेंगे । पांचवे घर में शुभ ग्रहों का होना पंचमेश का शुभ ग्रहों के साथ युति संबंध करना पंचमेश के नौ मास की युति होना पंचमेश की लग्नेश के साथ युति हो ना पंचमेश और पांचवा घर जितने शुभ और जितने पावरफुल होंगे इतना अच्छा संतान सुख योग बनेगा।
ठीक है इसके विपरीत पांचवा घर और पंचमेश जितने पीड़ित अवस्था में होंगे उतनी परेशानी का कारण बनेंगे।
इसलिए हमें पांचवा घर और पंचमेश का बल इन पर पड़ने वाली दृष्टि और युति का गहन अध्ययन करना पड़ेगा जैसे शनि, राहु ,मंगल, सूर्य केतु यह पाप ग्रह है इनमें से जितने ज्यादा ग्रह से पांचवा घर प्रभावित होता है व्यक्ति के संतान सुख में उतनी ही ज्यादा बाधा आती है क्योंकि यह पाप ग्रह प्रतकथाजनक होते हैं मतलब वियोग जिस घर में पात्र ज्यादा होते हैं उस घर के सुख से इंसान पृथक हो जाता है अलग हो जाता है पांचवें घर में जितने शुभ ग्रह होंगे पर उतनी शुभ मिलेंगे चंद्र बुध गुरू शुक्र यह सभी शुभ ग्रह है।
तो उन हस्बैंड वाइफ की पत्रिका में से एक ही पत्रिका मैं यदि दोष होता है जैसे किसी वाइफ की पत्रिका में पांचवे घर में मंगल बैठा है और 11वीं घर में राहु और शनि बैठे हैं तू ऐसी पत्नी की पत्रिका में संतान सुख में कमी होगी तो हम क्या उपाय करेंगे हम इस पत्रिका को जब मिलाएंगे किसी ऐसे पुरुष की पत्रिका से जिस के पांचवे घर में कोई ग्रह उच्च का बैठा हो पांचवे घर पर शुभ ग्रहों की दृष्टि हो पांचवे घर में शुभ ग्रह बैठे हो तो इस लेडी को संतान सुख प्राप्त हो जाएगा इसी को हम एस्ट्रोलॉजी से प्रेगनेंसी प्रिडक्शन भी कहते हैं हम हम उस की महादशा और ग्रहों को देखकर उसकी प्रेगनेंसी को पढ़ कर सकते हैं और यह भी बता सकते हैं कि बच्चा कब होगा कैसा होगा गर्ल चाइल्ड होगी बॉय चाइल्ड होगा उसका व्यवहार कैसा होगा बहुत सारी चीजें हम ग्रहों को समझ कर उसके आधार पर उसका परीक्षण कर सकते हैं।
और दूसरे उपाय हैं जिससे पांचवे घर के स्वामी के ग्रह का जाप करना दान करना पाचवे घर में बैठे भी ग्रहो के मंत्रों का जाप करना दान करना उससे भी मदद मिलती है।
दूसरा तरीका माइंड प्रोग्रामिंग से है या हिप्नोटिज्म से भी हम संतान प्राप्त कर सकते हैं यह टेक्निक होती है जिसमें सबकॉन्शियस माइंड के अंदर 1 डाटा डाला जाता है। सब जानते हैं कि सबकॉन्शियस माइंड एक ऐसी मशीन है जो जन्म के साथ भी और जन्म के बाद भी चलती रहती है या हम इसको एक मिक्सर से कंपेयर कर सकते हैं जैसे मिक्सर को नहीं पता होता है कि उसे क्या क्या पीसना चीनी,नमक डालोगे तो भी पीसेगा और मोबाइल, पेन डालोगे तो भी पीस देगा। तो सबसे पहले हम सबकॉन्शियस माइंड को बताते हैं कि उसे क्या करना है क्योंकि वह कैसा बच्चा है जो कुछ भी कर सकता है उसमें इतनी शक्ति है पावर है पर वह कोई शक नहीं है तो उसे यह नहीं पता कि सच क्या है झूठ क्या है सही क्या है गलत क्या है बस उसे काम करना आता है तो जैसे हम एक बच्चे से काम करवाते हैं वैसे ही हमें सबकॉन्शियस में सही डांटा डालना है और हमें सही रिजल्ट मिलेगा तो इस तरीके से भी हम किसी भी व्यक्ति से कुछ भी करवा सकते हैं सही सही जो व्यक्ति चाहता है वह हम उसको दिलवा सकते हैं।
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